पारस हेल्थकेयर का 3000 नए ऑपरेशनल बेड्स जोड़ने का लक्ष्य

36
Dr. Dharminder Nagar
पारस हेल्थकेयर ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ धरमिंदर नागर

कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए पारस हेल्थकेयर ने अपने विस्तार रुपी योजना के अंतर्गत, अतिरिक्त 3000 ऑपरेशनल बेड्स की सुविधा प्रदान करने की घोषणा की है। इस योजना को अगले 2 से 3 वर्षों में पूरा कर लिया जायेगा।

देश के विभिन्न हिस्सों में स्पेसिलाइज्ड टेरटियरी चिकित्सा देखभाल प्रदान करने वाले अस्पतालों के ग्रुप ‘पारस हेल्थकेयर’ ने देश के विभिन्न हिस्सों में महामारी के बाद अपनी सुविधाओं का विस्तार करने की योजना बनाई है।

विस्तार की इस योजना में उन जगहों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है जहाँ पर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की जरुरत है।

साल 2006 में गुड़गांव में एक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल शुरू करने के बाद पारस हेल्थकेयर ने पटना, दरभंगा, उदयपुर, पंचकुला और रांची में अपनी सुविधाओं का लगातार विस्तार किया और वंचित क्षेत्रों में सस्ती, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के अपने मिशन को आगे बढ़ाया।

विस्तार योजनाओं पर अपनी टिप्पणी देते हुए पारस हेल्थकेयर ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ धरमिंदर नागर जी ने कहा:

“महामारी ने हाई क्वालिटी सुलभ स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत पर सबसे ज्यादा प्रकाश डाला है। पारस हेल्थकेयर में हम वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।”

“श्रीनगर में 200 बेड की सुविधा अक्टूबर 2022 तक, कानपुर में 435 बेड वाला हॉस्पिटल अप्रैल 2023 तक, लुधियाना में 400 बेड वाले हॉस्पिटल फरवरी 2025 तक तथा मेरठ में अप्रैल 2025 तक 350 बेड वाले हॉस्पिटल को स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

“इसके अलावा सितंबर 2025 तक जम्मू में 300 बेड की फैसिलिटी शुरू कर देंगे। वहीँ पंचकुला में हॉस्पिटल पहले से ही चल रहा है, लेकिन हम अप्रैल 2025 तक इस हॉस्पिटल में 260 बेड की सुविधा और जोड़ देंगे। हम निकट भविष्य में फरीदाबाद में भी हॉस्पिटल स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। कानपुर में हमारे नए हॉस्पिटल के लिए हमने 80 आईसीयू या क्रिटिकल केयर बेड की सुविधा प्रदान की थी लेकिन अब हम 140 बेड के आसपास फैसिलिटी को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

डॉ धरमिंदर नागर जी ने ग्रुप के योजनाओं के बारे में और जानकारी देते हुए कहा, “हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं जहां अगले 5 से 10 वर्षों में हेल्थ इंश्योरेंस एक मौलिक अधिकार बन जाएगा, और चाहे वह प्राइवेट इंश्योरेंस के माध्यम से हो या सरकारी इंश्योरेंस के माध्यम से, लगभग हर नागरिक को इंश्योरेंस दिया जाएगा। इसके अलावा भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) के सुधार के बाद देश में एक साल में लगभग 100,000 MBBS छात्र और 50,000 Post-Graduate  छात्र निकल कर आ रहे हैं। इससे पूरे देश में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ेगी। मांग और आपूर्ति में बढ़ोत्तरी होने से हेल्थकेयर सेक्टर में उन्नति होगी।”

डॉ धरमिंदर नागर जी ने आगे बताया, “कम डॉक्टर-मरीज अनुपात के अलावा क़्वालिटी वाले कार्डियोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जन और डायग्नोस्टिक तकनीक ज्यादातर महानगरीय शहरों में ही मौजूद रहती हैं। इसी कारण से अगर कोई रिमोट क्षेत्र में कोई व्यक्ति हृदय की बीमारी से पीड़ित है और उसे तत्काल इलाज की जरुरत है, तो उसे इलाज के लिए मेट्रो शहरों जाना पड़ता है। लाखों लोगों के लिए मेट्रो शहरों में जाकर इलाज करवाना बहुत ही परेशानी भरा होता है। हालांकि शहरों में उन्हें गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल जाता है और वे इलाज का खर्च भी उठा लेते हैं लेकिन अपने गृह नगर से दूसरे शहर में जाकर जो परेशानी झेलनी पड़ती है वह पीड़ित परिवार ही समझ सकता है।

लोगों में यह आम धारणा है कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की कमी केवल समाज के गरीबों को ही झेलनी पड़ती है लेकिन असल बात यह है कि संपन्न लोगों को भी अक्सर विश्वसनीय और सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल सलाह और इलाज प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

भले ही हॉस्पिटल और फैसिलिटीज सभी सुविधाएँ क्षेत्र में प्रदान कर रही हो लेकिन सुलभ और विश्वसनीय मेडिकल सुविधाओं को लेकर आशंका बनी रहती है। ऐसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना मरीजों और हेल्थकेयर प्रोवाइडर के लिए फायदेमंद हो सकता है।”