पाकिस्तान में भारी बाढ़, 10 तस्वीरों में देखिए तबाही का मंजर

पाकिस्तान बाढ़ त्रासदी से 3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं जिनमे से 1300 लोगों की मौत हुई है। बाढ़ से हुए जल-जमाव की स्थिति के कारण दस्त, मलेरिया, डेंगू बुखार, टाइफाइड, खसरा जैसी बीमारियों के फैलने का जोखिम बढ़ गया है।

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Floods in Pakistan
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पाकिस्तान में बाढ़ के कारण हुए जबरदस्त नुकसान और विनाश का ऐसा मंजर पाकिस्तान में इससे पहले ऐसा नहीं देखा गया है। दुनियां के जलवायु में लंबे समय से हो रहे परिवर्तन के परिणाम हैं कि ऐसे अधिक गंभीर मौसम की स्थिति पैदा होती जा रही है।

Floods in Pakistan
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WHO के 3 सितंबर तक के लेटेस्ट आंकड़े के अनुसार:

1300 से अधिक लोगों की जान चली गई और 12,500 लोग घायल हुए हैं।

3 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें 64 लाख से अधिक लोगों को मानवीय सहायता की सख्त जरूरत है।

6 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं जो शिविरों में रह रहे हैं।

1460 से अधिक स्वास्थ्य फैसिलिटीज प्रभावित हुई हैं, जिनमें से 432 पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं और 1028 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं।

स्वास्थ्य सुविधाओं, मेडिकल कर्मचारियों और आवश्यक दवाओं सहित सभी तरह की चिकित्सा आपूर्ति तक पहुंच सीमित है। प्रारंभिक निरीक्षण में यह पाया गया है कि हज़ारों लोग डायरिया, मलेरिया, फेफड़ों से सम्बंधित संक्रमण, त्वचा और आंखों के संक्रमण, टाइफाइड और अन्य से प्रभावित हो चुके हैं।

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पाकिस्तान में आए भयंकर बाढ़ से लाखों लोग बेघर हो गए हैं, सैकड़ों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है, करोड़ों के जान-माल का आकलन लगाया जा रहा है।
लोगों के पास खाने के लिए दाना और पीने के लिए साफ़ पानी की भारी किल्लत हो गई है।

लोग पीने के लिए और अपनी दैनिक जरूरतों के लिए असुरक्षित पानी का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं। बाढ़ के बाद पानी के हर जगह हो रहे ठहराव के परिणामस्वरूप कई बीमारियों ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है।

देश में गंदे पानी के वजह से हो रहे इन्फेक्शन के कारण पहले से ही फैल रही बीमारियों के जोखिम में वृद्धि होने का खतरा लगातार बना हुआ है जिसमें दस्त, मलेरिया, डेंगू बुखार, टाइफाइड, खसरा इत्यादि शामिल हैं।

यदि स्थिति को जल्द ही काबू में नहीं किया गया तो इन बीमारियों के अलावा पोलियो और कोविड-19 के भी फैलने का जोख़िम बढ़ गया है।

इस त्रासदी में मेडिकल सुविधाओं और सेवाओं तक अपनी पहुंच खोने वाले हजारों गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चों की सुरक्षित डिलीवरी एक चुनौती बन चुकी है। इन महिलाओं के पास घर पर प्रसव के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है लेकिन इसमें मेडिकल कॉम्प्लीकेशन का खतरा काफी ज्यादा है।

मौजूदा स्थिति में बच्चों, बुजुर्गों सहित हजारों लोगों को इस सदमें से उभरने के लिए मनोवैज्ञानिक सपोर्ट और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होगी ताकि वे इस विनाश और इससे होने वाले भारी नुकसान का सामना कर सकें।