भारत को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त देश बनाने का लक्ष्य

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TB Mukt Bharat by 2025 - UNSDG

‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक पूरे देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा आज वर्चुअल रूप में इस टीबी उन्मूलन अभियान का शुभारम्भ किया गया।

इस वर्चुअल समारोह में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेश के राज्यपाल तथा उप-राज्यपाल, राज्य तथा जिला स्वास्थ्य प्रशासन के प्रतिनिधि एवं अन्य उपस्थित थे।

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इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में कहा कि ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ को उच्च प्राथमिकता देना तथा इस अभियान को जन-आंदोलन बनाना सभी नागरिकों का कर्तव्य है, क्योंकि टीबी हमारे देश में अन्य सभी संक्रामक बीमारियों से सबसे अधिक मृत्यु का कारण है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत की आबादी विश्व की कुल आबादी का 20 प्रतिशत भी नहीं है लेकिन दुनियां के 25 प्रतिशत से अधिक टीबी मरीजों की संख्यां भारत में है जो कि चिंतनीय बात है। उन्होंने कहा कि टीबी रोग से ग्रसित अधिकतर लोग समाज के गरीब वर्ग के हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ‘न्यू इंडिया’ की सोच और कार्य पद्धति भारत को विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनाना है। कोविड-19 महामारी से निपटने में भारत ने विश्व के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है। विश्वास के साथ आगे बढ़ने की ‘न्यू इंडिया’ की नीति टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में भी दिख रही है।

“यूनाइटेड नेशंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल” (UNSDG) के अनुसार सभी देशों ने 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है, लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

President of India launching TB Mukt Bharat Abhiyan

राष्ट्रपति ने आगे बताया कि इस टीबी उन्मूलन अभियान को जन-आंदोलन बनाने के लिए लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा करनी होगी। उन्हें बताना होगा कि इस बीमारी की रोकथाम संभव है।

President of India launching TB Mukt Bharat Abhiyan

इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है और सरकार इस बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि कुछ रोगियों और समुदायों में इस बीमारी को लेकर हीन भावना है और लोग इस बीमारी को कलंक के रूप में देखते हैं। यह भ्रम दूर करना होगा।

सभी को यह जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के कीटाणु हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं। किसी कारणवश जब किसी व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाती है तो व्यक्ति में यह रोग दिखता है।

इलाज से इस बीमारी से जरूर छुटकारा मिल सकता है। ये सभी बातें लोगों तक पहुंचनी चाहिए, तभी टीबी से प्रभावित लोग इलाज की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।

“प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान” की परिकल्पना सभी सामुदायिक हितधारकों को टीबी के इलाज में समर्थन देने और टीबी के उपचार की दिशा में देश की प्रगति में तेजी लाने के लिए की गई है।